बलिया : जाति प्रमाण पत्र निर्गत में हो रही कठिनाई को लेकर सांसद ने गंभीरता से इस मुद्दे को संसद में उठाया
बांसडीह (बलिया)।क्षेत्र में तुरहा गोंड़ खरवार आदि विभिन्न जातियों के प्रमाण पत्र निर्गत नही किये जाने पर सलेमपुर सांसद रमाशंकर राजभर ने संसद के शून्यकाल में इस मुद्दे को गंभीरता से उठाते हुए कहा कि प्रदेश के विभिन्न जनपदों में तुरैहा, गोंड़ खरवार व धनगर जातियों को क्रमशः अनुसूचित जाति व जनजाति में अधिसूचित किया गया है। लेकिन स्थानीय तौर पर इनका कुछ और नाम होने से इन्हें जाति प्रमाण पत्र निर्गत नही किया जा रहा है। जिससे इनके विकास में बाधा उत्पन्न होने के साथ ही इन्हें उनका संवैधानिक हक नही मिल पा रहा है। तुरैहा जाति अनुसूचित जाति में अधिसूचित है लेकिन क्षेत्रीय भाषा मे इसे तुरहा कहा जाता है । इसी तरह धनगर को गड़ेरिया व पाल कहा जाता है। लेकिन स्थानीय तौर पर नाम बदला हुआ होने के कारण मूल जाति का होने पर भी अधिकारी इन जातियों को प्रमाण पत्र निर्गत नही कर रहें हैं। इसी तरह खरवार को स्थानीय भाषा मे कमकर कहा जाता है। यही स्थिति गोंड जाति की भी है। यहां भी गोंड़ व गोंड के बीच के भेद के कारण प्रमाण पत्र निर्गत नही किया जा रहा है।
सांसद ने लोकसभा में यह मांग उठाई है कि इन सभी जातियों की क्षेत्रीय बोलचाल की भाषा को भी इन जातियों के अधिसूचित शब्दों के साथ मिलान कर भ्रांतियों को दूर करते हुए इन सभी जातियों को जाति प्रमाण पत्र निर्गत किया जाये। जिससे इनका समुचित विकास सुनिश्चित हो।