शारदीय नवरात्रि प्रारंभ : घट स्थापना के साथ ही पहले दिन होती है मां शैलपुत्री की पूजा - Ballia Breaking
  • Ballia Breaking

    शारदीय नवरात्रि प्रारंभ : घट स्थापना के साथ ही पहले दिन होती है मां शैलपुत्री की पूजा

     

    मां शैलपुत्री की पूजा के साथ शारदीय नवरात्रि प्रारंभ

     नवरात्रि में मां दुर्गा के अलग अलग नौ स्वरुपों की पूजा की जाती है हिंदू धर्म में नवरात्रि का विशेष महत्व है।वैदिक पंचांग के अनुसार शारदीय नवरात्रि आज यानि 03 अक्टूबर से शुरू हो गए हैं, जो कि 12 अक्टूबर तक चलेंगे। नवरात्रि में मां दुर्गा के अलग अलग नौ स्वरुपों की पूजा की जाती है। वहीं मान्यता है जो व्यक्ति इन 9 दिनों तक व्रत रखकर मां दुर्गा की आराधना करता है। उसके सभी मनोरथ पूर्ण होते हैं। वहीं आपको बता दें कि पहले दिन कलश स्थापना के साथ मां दुर्गा के प्रथम रूप मां शैलपुत्री की पूजा आरंभ होता है। मां सभी भक्तो की मनोकामना पूर्ण करती है।

    शारदीय नवरात्रि में घटस्थापना करना मंगलदायक माना जाता है। क्योंकि घट यानि कि कलश में ब्रह्रा, विष्णु और भगवान शिव का वास होता है। इसलिए कलश स्थापना करने से इन तीनों भगवान की भी पूजा हो जाती है। वहीं अगर घटस्थापना के शुभ मुहूर्त की बात करें तो घट स्थापना के पंचांग में कई मुहूर्त दिए गए हैं, जो इस प्रकार हैं…

    घट स्थापना का सबसे पहला शुभ मुहूर्त: 3 अक्टूबर, गुरुवार को सुबह 06:14 से 07:23 मिनिट तक है।

    घट स्थापना के लिए दूसरा शुभ अभिजीत मुहूर्त: सुबह 11:47 से दोपहर 12:34 मिनिट तक रहेगा।

    चौघड़िया मुहूर्त में भी कर सकते हैं कलश स्थापना

    इन मुहूर्तों के अलाव चौघड़िया मुहूर्त में भी कलश स्थापना कर सकते हैं।

     ये है चौघड़ियां मुहूर्त की जानकारी

    – सुबह 10:42 से दोपहर 12:11 तक

    – दोपहर 12:11 से 01:39 तक

    – शाम 04:35 से 06:05 तक

    – शाम 06:05 से 07:37 तक

    नवरात्रि में मालव्य और भद्र राजयोग बनने से इन राशियों की चमक सकती है किस्मत, बुध और शुक्र ग्रह की रहेगी असीम कृपा

    इस विधि से करें कलश स्थापित

    नवरात्रि के पहले दिन स्नान करके साफ- सुथरे वस्त्र पहन लें। इसके बाद पूजा स्थल की साफ-सफाई अच्छे से करें, जहां कलश में जल भरकर रखा जाना है। साथ ही अगर कलश की बात करें तो कलश मिट्टी या स्टील का ले सकते हैं। वहीं कलश पर कलावा जरूर लपेटे और इसके बाद कलश के मुख पर आम या अशोक के पत्ते लगाएं। साथ ही सबसे पहले थोड़ी सी मिट्टी डालें और फिर इसमें जौं डालें फिर एर परत मिट्टी की बिछाए एक बार फिर जौं डालें। फिर से मिट्टी की परत बिछाएं। फिर थोडा- थोड़ा जल का छिड़काव करें। वहीं कलश के नीचे थोड़ा से चावल जरुर डालें और कलश के अंदर सिक्का, सुपारी, पंचपल्लव (आम के पत्ते), सप्तम मृतिका (मिट्टी), डाल दें और फिर कलश स्थापित कर दें। वहीं आपको बता दें कि कलश ईशान कोण में ही स्थापित करें। ऐसा करने से मां दुर्गा के साथ- साथ वास्तु देवता भी प्रसन्न रहते हैं। 

    घटस्थापना के दौरान करें इस मंत्र का जप

    1- तदुक्तं तत्रैव कात्यायनेन प्रतिपद्याश्विने मासि भवो वैधृति चित्रयोः । आद्य पादौ परित्यज्य प्रारम्भेन्नवरान्नकमिति।।

    2- ओम आ जिघ्र कलशं मह्या त्वा विशन्त्विन्दव:। पुनरूर्जा नि वर्तस्व सा नः सहस्रं धुक्ष्वोरुधारा पयस्वती पुनर्मा विशतादयिः।।

    मां दुर्गा के मंत्र

    • ॐ जयन्ती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी।

    दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तुते।।

    • या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरूपेण संस्थिता,

    नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।

    • या देवी सर्वभूतेषु लक्ष्मीरूपेण संस्थिता,

    नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।

    • या देवी सर्वभूतेषु तुष्टिरूपेण संस्थिता,

    नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।

    • सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके।

    शरण्ये त्र्यंबके गौरी नारायणि नमोऽस्तुते।।