चैत्र नवरात्री स्पेशल: माँ दुर्गा की अवतार है माँ शैलपुत्री,ये है माँ की पावन कथा - Ballia Breaking
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    चैत्र नवरात्री स्पेशल: माँ दुर्गा की अवतार है माँ शैलपुत्री,ये है माँ की पावन कथा

     

    माँ शैलपुत्री

    चैत्र नवरात्रि आज मंगलवार से प्रारंभ हो गया है।नवरात्रि में मां दुर्गा के नौ रूपों की विधि विधान से पूजा बहुत ही फलदाई होता है।नवरात्रि के प्रथम दिन मां शैलपुत्री के रूप में होती है।

     मां दुर्गा को सर्वप्रथम शैलपुत्री के रूप में पूजा जाता है, हिमालय के पुत्री के रूप में जन्म लेने के कारण का नाम शैलपुत्री पड़ा ।इनका वाहन वृषभ है इसलिए यह देवी वृषारूढ़ा के नाम से भी जानी जाती है । माता के दाएं हाथ में त्रिशूल और बाएं हाथ में कमल सुशोभित होता है। यही देवी प्रथम दुर्गा है यही सती के नाम से भी जानी जाती है।

    मां शैलपुत्री के बारे में प्रचलित कथाएं

    एक बार जब राजा दक्ष प्रजापति ने यज्ञ किया तो इसमें सारे देवताओं को निमंत्रित किया गया।इस यज्ञ में भगवान शिव को आमंत्रित नही किया गया। माता सती यज्ञ में जाने के लिए व्याकुल थी। भगवान शिव जी ने कहा सारे देवताओं को निमंत्रित किया गया है उन्हें नहीं, ऐसे में वहां जाना उचित नहीं है। सती का प्रबल आग्रह देखकर भगवान शिव जी ने उन्हें यज्ञ में जाने की अनुमति दे दी।सती जब घर पहुंची तो सिर्फ उनकी माता ने हीं उन्हें स्नेह दिया। बहनों की बातों में व्यंग और उपवास के भाव थे, भगवान शिव के प्रति भी तिरस्कार के भाव थे।उनके पिता राजा दक्ष ने भी उनके प्रति अपमानजनक वचन कहे। इससे मां सती को बड़ा ही दुख पहुंचा। वह अपने पति का यह अपमान सह न सकी और अग्नि द्वारा अपने को जलाकर भस्म कर लिया। इस दारुन दुख से व्यथित होकर  भगवान शिव ने उसे यज्ञ का विध्वंस कर दिया ।

    यही सती अगले जन्म में शैलराज हिमालय के पुत्री के रूप में जन्मी और शैलपुत्री कहलाई। पार्वती और हेमवती भी इसी देवी के अन्य नाम है। शैलपुत्री का विवाह भी भगवान शंकर से हुआ शैलपुत्री शिवजी की अर्धांगिनी बनी इनका महत्व और शक्ति अनंत है।