चैत्र नवरात्रि स्पेशल : मां दुर्गा की तीसरी शक्ति है मां चंद्रघंटा, जाने मां की पावन कथा - Ballia Breaking
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    चैत्र नवरात्रि स्पेशल : मां दुर्गा की तीसरी शक्ति है मां चंद्रघंटा, जाने मां की पावन कथा


     मां दुर्गा की तीसरी शक्ति हैं मां चंद्रघंटा

     नवरात्रि में तीसरे दिन इसी देवी की पूजा-आराधना की जाती है। देवी का यह स्वरूप परम शांतिदायक और कल्याणकारी है। इसीलिए कहा जाता है कि हमें निरंतर उनके पवित्र विग्रह को ध्यान में रखकर साधना करना चाहिए। 

    मां के पूजन का विशेष महत्व

    नवरात्रि में तीसरे दिन इसी देवी की पूजा का महत्व है। इस देवी की कृपा से साधक को अलौकिक वस्तुओं के दर्शन होते हैं। दिव्य सुगंधियों का अनुभव होता है और कई तरह की ध्वनियां सुनाईं देने लगती हैं। इन क्षणों में साधक को बहुत सावधान रहना चाहिए। इस देवी की आराधना से साधक में वीरता और निर्भयता के साथ ही सौम्यता और विनम्रता का विकास होता है। इसलिए हमें चाहिए कि मन, वचन और कर्म के साथ ही काया को विहित विधि-विधान के अनुसार परिशुद्ध-पवित्र करके चंद्रघंटा के शरणागत होकर उनकी उपासना-आराधना करना चाहिए। इससे सारे कष्टों से मुक्त होकर सहज ही परम पद की प्राप्ति होती है।

    पौराणिक मान्यताओं के अनुसार माता की कथा 

    पौराणिक कथा के अनुसार एक बार देवताओं और असुरो के बीच लंबे समय तक घमासान युद्ध हुआ इस युद्ध के दौरान असुरों का राजा महिषासुर था और देवताओं का नेतृत्व इंद्रदेव कर रहे थे,लेकिन युद्ध में असुरो के राजा महिषासुर ने इंद्रदेव का सिंहासन छीन लिया और उस पर स्वंय विराजमान हो गया।

     महिषासुर ने इंद्र, सूर्य, चंद्र और वायु समेत सभी देवताओं से देवलोक से जुड़े उनके सभी अधिकार भी छीन लिए। जिसके बाद सभी देवता परेशान होकर धरती लोक पर आ गए।देवताओं ने अपने दुख ब्रह्मा, विष्णु और महेश के सामने व्यक्त किया, जिसके बाद तीनों देवता बेहद ही क्रोधित हुए। तीनों देवों के क्रोध के कारण उनके मुख से ऊर्जा उत्पन्न हुई और देवताओं के शरीर की ऊर्जा से मिल गई। फिर दसों दिशाओं में व्याप्त होने के बाद इस ऊर्जा से मां भगवती के चंद्राघंटा स्वरूप की उत्पत्ति हुई। भगवान विष्णु ने मां चंद्रघंटा को उन्हें अपना त्रिशूल भेट किया।इसी त्रिशुल मां चंद्रघंटा ने युद्ध में महिषासुर का वध किया।

    कैसे करें मां चंद्रघंटा की पूजा?

    मां चंद्रघंटा की पूजा लाल वस्त्र धारण करके करना श्रेष्ठ होता है. मां को लाल पुष्प, रक्त चन्दन और लाल चुनरी समर्पित करना उत्तम होता है. इनकी पूजा से मणिपुर चक्र मजबूत होता है. इसलिए इस दिन की पूजा से मणिपुर चक्र मजबूत होता है और भय का नाश होता है. अगर इस दिन की पूजा से कुछ अद्भुत सिद्धियों जैसी अनुभूति होती है तो उस पर ध्यान न देकर आगे साधना करते रहनी चाहिए।