अग्निपथ :अग्नि का तांडव मचा है, जंग का ये हाल क्यों है ?
रचना-
अग्नि का तांडव मचा है,
जंग का ये हाल क्यों है।
देश के अंदर बिछा,
आतंक जैसा जाल क्यों है।।
देश के रक्षक बनेंगे,
स्वप्न हैं दिल में संजोए ।
फिर क्यों ऐसी अग्नि भड़की,
क्यों ये नफरत बीज बोए।।
अग्निपथ के मार्ग में,
बाधक बनें ये बाल क्यों हैं।
अग्नि का तांडव मचा है,
जंग का ये हाल क्यों है।
देश के अंदर बिछा,
आतंक जैसा जाल क्यों है।।
रो रही माॅ भारती अब,
कह रही ऑचल पसारे।
मेरी रक्षा कब करोगे,
जब हो तू खुद से हीं हारे।।
अपने हीं लोगों पर चल,
तलवार होता लाल क्यों है।
अग्नि का तांडव मचा है,
जंग का ये हाल क्यों है।
देश के अंदर बिछा,
आतंक जैसा जाल क्यों है।।
रो पड़ी है कलम मेरी,
लिखते हुए इस वेदना को।
क्यों सुलाए हैं ये मेरे,
वीर अपनी चेतना को।।
आनन्द तेरे देश में,
ये आ रहा भूचाल क्यों है।
अग्नि का तांडव मचा है,
जंग का ये हाल क्यों है।
देश के अंदर बिछा,
आतंक जैसा जाल क्यों है।।
लेखक - आनन्द कुमार पाण्डेय
बलिया उत्तर प्रदेश , मो. 9454261955