बलिया : मिट्टी और मां से ही जुड़ कर हम महान बन सकते हैं- वैज्ञानिक डॉक्टर अवनींद्र कुमार सिंह
बाँसडीह। मिट्टी और मां से ही जुड़ कर हम महान बन सकते हैं। जब देश वैश्विक महामारी से गुजर रहा होता है तब कृषि ही संबल प्रदान करती है। कृषि के बिना जीवन संभव नहीं है। विज्ञान की अंधी दौड़ के साथ ही अर्थ का अनैतिक दौड़ शुरू होता है। कृषि केवल फावड़ा व हल नहीं होता, इसके अंतर्गत बहुत सारी विषये है उक्त बातें सोमवार को महाविद्यालय बांसडीह के सभागार में अनुवांशिकी एवं पादप प्रजनन भारतीय दलहन अनुसंधान संस्थान कानपुर भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक डॉक्टर अवनींद्र कुमार सिंह ने "ग्रामीण विकास में कृषि शिक्षा एवं शोध का योगदान" विषय पर व्याख्यान देते हुए कहीं।
डॉ सिंह ने कहा कि कृषि विज्ञान ज्ञान से आता है बाकी विज्ञान संस्थानों से आता है।विकासशील शिक्षा वह है जो हमारे अंतर्निहित शक्तियों को बढ़ाने का कार्य कर रही है। जो शिक्षा हमें हमारे संस्कारों से दूर कर दे वह हमें समाज से दूर कर देती है।
फसलों की नई प्रजातियों को समझाते हुए डॉ सिंह ने कहा कि धान व गेहूं की एक प्रजाति निकालने के लिए एक वैज्ञानिक का 14 वर्ष का समय व्यय होता है। कृषि हमारे जीवन का आधार है अतः मिट्टी में फसलों का स्वभाव गत परिवर्तन होते रहना चाहिए। व्याख्यान में महाविद्यालय के प्रचार डॉ राजेश कुमार श्रीवास्तव, श्री संजय कुमार सिंह, डॉ कमलेश रवि, डॉ सुरेश राम, श्रीमती शिल्पी श्रीवास्तव, नीतू शर्मा, प्रतीक ओझा सहित अन्य अध्यापक एव विद्यालय के छात्र एव छात्राए उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन श्री सत्येंद्र कुमार पाण्डेय ने किया।